छोटा हो रहा ओजोन परत का छेद

 काॅपर निकस एटमाॅसफेयर मॉनिटरिंग सर्विसेस (CAMS) के वैज्ञानिकों ने बताया है कि ओजोन परत के छेद(hole) सिकुड़ रहा है। साथ ही ये भी संभावना जताया है कि जल्द ही ये होल पूरी तरह से बंद भी हो सकता है।जो कि अच्छा संकेत है। 
 
क्या होता है ओजोन?



पृथ्वी के सतह से 17-25km ऊपर समतापमंडल (stratosphere) मे वायुमंडलीय ओजोन(O3) की परत मौजूद होती है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणो (ultraviolet radiation ) से पृथ्वी पर मौजूद जीवन को बचाती है।
 Atmosphere के satelite स्टडी से पता चला था कि दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद Antarctica क्षेत्र के ऊपर का ओजोन परत 1970 के दशक से काफी पतली हो गई है। 




    अखिर क्यों पतला हुआ ओजोन परत ?

ओजोन परत का क्षय या पतला होने का कारण ग्रीन हाउस गैसेस (CO2,CH4,CFCs,N2O) है। इनमे से भी मुख्य रूप से जिम्मेदार Chlorofluorocarbon(CFCs) है। पहले इसका उपयोग प्रशीतक(refrigeration) के उत्पादन में व्यापक रूप से किया जाता था। 
ये CFCs वायुमंडल में जाकर क्लोरीन गैस निकालती है।
क्लोरीन, ओजोन( O3) से अभिक्रिया करके क्लोरीन मोनो आक्साइड(ClO) और ऑक्सीजन (O2) बनाता है।  Cl2+O3 ----> ClO +O2

ClO आपस में अभिक्रिया करके Cl2O2(क्लोरीन पर आक्साइड) बनाते हैं । ClO +ClO ---->  Cl2O2 

ये Cl2O2 सूर्य के प्रकाश से टूट के ऑक्सीजन (O2)और मुक्त क्लोरीन परमाणु (Cl) बनाती है 
     Cl2O2  ---sun light----> O2 +Cl (free)
  मुक्त क्लोरीन परमाणु पुनः ओजोन से अभिक्रिया करके ओजोन परत को क्षय करना शुरु कर देता है। ये प्रक्रिया चलता रहता है। 








 अखिरकार कामयाब हुआ 'मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल' 
ओजोन क्षय के गंभीरता को देखते हुए सन् 1987 में 197 राष्ट्र (जिसमें यूनाइटेड स्टेटभी सामिल था) द्वारा एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया गया जिसको मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल बोला गया। इस समझौते के तहत, ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों के उत्पाद और आयात को नियंत्रित करने का निर्णय लिया गया। इस प्रोटोकोल से अधिकांश देशों ने CFCs का उत्पादन भी समाप्त कर दिया जिससे समताप मंडल (stratosphere) मे क्लोरीन की सान्द्रता स्थिर हो गई और ओजोन क्षय धीमा होने लगा। 
(~Ayush Ranjan ✍)





   



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